ऑपरेशन सिंदूर: 16 वीर बीएसएफ जवानों की अदम्यगाथा

भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश ने गर्व के साथ घोषणा की कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 16 साहसी जवानों को ऑपरेशन सिंदूर में अद्वितीय पराक्रम और वीरता के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों का प्रतीक नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के विश्वास और आभार का प्रतिबिंब है, जिसे ये वीर योद्धा अपने लहू, पसीने और साहस से अर्जित करते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। इस कायरतापूर्ण हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए। इसके जवाब में, भारत ने 7 से 10 मई 2025 तक ऑपरेशन सिंदूर चलाया—एक सटीक, साहसी और रणनीतिक अभियान, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों व सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इस अभियान में BSF ने सीमा के हर मोर्चे पर अदम्य साहस दिखाया।

करोटाना खुर्द की अमर कथा — ASI राजप्पा बी.टी. और कॉन्स्टेबल मनोहर ज़ालक्सो
10 मई की भोर में करोटाना खुर्द पोस्ट पर गोला-बारूद की भारी कमी की सूचना आई। ASI राजप्पा B.T. और Constable मनोहर Xalxo को खतरनाक आपूर्ति मिशन सौंपा गया। दुश्मन की भीषण मोर्टार गोलाबारी के बीच, दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए—राजप्पा के शरीर में छर्रे धँस गए और ज़ालक्सो के हाथ बुरी तरह घायल हो गए। फिर भी, दोनों ने अपना मिशन पूरा किया और मोर्चे पर गोला-बारूद पहुँचा कर अपने साथियों की जान बचाई।
जाबोवाल की जंग — ASI उदय वीर सिंह
जाबोवाल बॉर्डर पोस्ट पर दुश्मन ने एक निगरानी कैमरा और भारी मशीनगन पोस्ट स्थापित कर दी थी। ASI उदय वीर सिंह ने बिना समय गंवाए उस कैमरे को नष्ट किया और मशीनगन पोस्ट को भी ध्वस्त कर दिया। इस दौरान एक छर्रे ने उनका ऊपरी होंठ काट डाला, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया और मोर्चा संभालते रहे।
जख्मी होकर भी जंग — सब–इंस्पेक्टर व्यास देव और कॉन्स्टेबल सुड्डी राभा
एक मोर्टार हमले में सब-इंस्पेक्टर व्यास देव का बायाँ पैर बुरी तरह जख्मी हो गया, जिसे बाद में काटना पड़ा। फिर भी उन्होंने अग्रिम पंक्ति तक गोला-बारूद पहुँचाने का काम जारी रखा। उनके साथ कॉन्स्टेबल सुड्डी राभा भी घायल हुए, लेकिन दोनों ने अपने साथियों की सुरक्षा और विजय सुनिश्चित की।
खरकोला में ड्रोन का सामना — अभिषेक श्रीवास्तव और टीम
खरकोला, जो सीमा से मात्र 200 मीटर दूर था, पर पाकिस्तानी ड्रोन लगातार हमला कर रहे थे। Assistant Commandant (Probation) अभिषेक श्रीवास्तव, Head Constable बृज मोहन सिंह और Constables देपेश्वर बर्मन, भूपेंद्र बाजपेयी, राजन कुमार व बसवराज शिवप्पा सुंकड़ा ने मिलकर इन ड्रोन हमलों को नाकाम किया। दुर्भाग्यवश, Sub-Inspector मोहम्मद इम्तियाज और Constable दीपक चिंगाखम इस दौरान वीरगति को प्राप्त हुए।
72 घंटे का मोर्चा — सात महिला वीरांगनाएँ
अखनूर सेक्टर में BSF की सात महिला जवानों ने लगातार 72 घंटे तक मोर्चा संभाला। दुश्मन की गोलीबारी और घुसपैठ की कोशिशों को उन्होंने न केवल विफल किया, बल्कि अग्रिम चौकियों को सुरक्षित रखा। उनकी यह भूमिका महिला सशक्तिकरण और सैन्य दृढ़ता का अद्भुत उदाहरण है।

मनोहर ज़ालक्सो की घर वापसी
ऑपरेशन में घायल मनोहर ज़ालक्सो 26 मई को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अपने गाँव लौटे। अंगूठे और उंगली में गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने गर्व से कहा—“मैं घायल हुआ, पर देश के लिए लड़ने और जीत सुनिश्चित करने पर गर्व है।” उनकी यह बात गाँव के हर बच्चे और बुजुर्ग के दिल में देशभक्ति की ज्योत जला गई।
अलौकिक धैर्य — असिस्टेंट कमांडेंट आलोक नेगी
आलोक नेगी और उनकी टीम ने लगातार 48 घंटे तक सटीक मोर्टार फायर बनाए रखा। उन्होंने न केवल पोस्ट को सुरक्षित रखा बल्कि यह सुनिश्चित किया कि उनकी पोज़ीशन से कोई भी भारतीय सैनिक हताहत न हो। यह साहसिक कार्य उनकी नेतृत्व क्षमता और सामरिक कौशल का प्रमाण है।

सम्मान से अधिक, राष्ट्र का आभार
BSF के ये वीर केवल सीमा के प्रहरी नहीं, बल्कि राष्ट्र के विश्वास के प्रतीक हैं। उनके लिए यह पदक सिर्फ धातु का टुकड़ा नहीं—यह हर भारतीय की कृतज्ञता का प्रतीक है। BSF ने कहा—“ये पदक भारत की ‘फ़र्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेंस’ में निहित राष्ट्र के विश्वास का प्रमाण हैं।”
साझा विजय
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। सेना ने रेगिस्तानी इलाकों में साहसी कार्रवाई की, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अभियान को ‘स्वदेशी सैन्य क्षमता’ का प्रमाण बताया—जहाँ आकाश और ब्रह्मोस जैसे स्वदेशी हथियारों का प्रभावी इस्तेमाल हुआ।
प्रेरणा की विरासत
ये 16 वीर योद्धा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का दीपस्तंभ हैं। उनकी कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि देशभक्ति केवल शब्दों से नहीं, बल्कि निस्वार्थ कर्म और अदम्य साहस से सिद्ध होती है।
निष्कर्ष
जब हम स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा लहराते हैं, तो इन वीरों की याद हमारे भीतर गर्व, कृतज्ञता और प्रेरणा का संचार करती है।
जय हिंद।
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