नया जीएसटी नियम: किरायेदारों पर 18% किराया टैक्स – आपके लिए इसका क्या मतलब है
जानिए नए जीएसटी नियम के बारे में जिसमें किरायेदारों पर 18% टैक्स लगाया गया है। किन्हें टैक्स देना होगा, कौन इससे मुक्त है और इसका असर किरायेदार व मकान मालिक पर कैसा होगा।

परिचय
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) समय-समय पर बदला और सुधारा जाता है। सितंबर 2025 में आए GST 2.0 सुधारों ने कई नए नियम लागू किए, जिनमें सबसे चर्चित है – किरायेदारों पर 18% जीएसटी।
यह नियम सुनकर बहुत से लोग सोच रहे हैं: क्या मुझे अब अपने मकान के किराए पर 18% टैक्स देना होगा? क्या यह सब पर लागू है? मकान मालिक या किरायेदार में से किसे देना होगा?
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि यह नया नियम क्या है, किन पर लागू होता है, किन पर नहीं, और इसका असर आप पर कैसा होगा।
नया जीएसटी किराया नियम क्या है?
नए प्रावधानों के अनुसार, आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति को किराए पर लेने पर 18% जीएसटी लागू हो सकता है।
- व्यावसायिक संपत्ति (Commercial Property): पहले से ही जीएसटी लागू था, अब इसमें कड़ा अनुपालन लाया गया है।
- आवासीय संपत्ति (Residential Property): अब नियम यह कहता है कि अगर किरायेदार GST रजिस्टर्ड है और उस संपत्ति का उपयोग व्यवसाय/पेशे के लिए करता है, तो उस पर 18% जीएसटी लगेगा।
यानी, घर केवल रहने के लिए किराए पर लिया है तो टैक्स नहीं, लेकिन व्यवसाय के लिए लिया है तो 18% टैक्स।

किसे जीएसटी किराए पर देना होगा?
✅ जहां जीएसटी लागू होगा
- व्यवसायी या पेशेवर लोग
- यदि कोई व्यवसायी/प्रोफेशनल अपार्टमेंट या मकान को ऑफिस के लिए किराए पर लेता है और जीएसटी में रजिस्टर्ड है, तो किराए पर 18% टैक्स लगेगा।
- उदाहरण: वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट या स्टार्टअप ऑफिस किराए पर लेते हैं।
- कंपनियां जो कर्मचारियों के लिए मकान किराए पर लेती हैं
- कंपनियां अपने कर्मचारियों को रहने के लिए फ्लैट किराए पर लेती हैं तो इस पर जीएसटी लागू होगा।
❌ जहां जीएसटी लागू नहीं होगा
- निजी आवासीय उपयोग
- यदि कोई परिवार या छात्र केवल रहने के लिए मकान किराए पर लेता है, तो उस पर जीएसटी लागू नहीं होगा।
- छोटे मकान मालिक
- यदि मकान मालिक की कुल किराया आय (अन्य सेवाओं सहित) 20 लाख रुपये (या विशेष श्रेणी राज्यों में 10 लाख रुपये) से कम है, तो उसे जीएसटी नहीं देना होगा।
किराए पर जीएसटी कैसे जमा होगा?
यह टैक्स अक्सर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत जमा होता है:
- इसमें टैक्स सीधे किरायेदार (अगर वह जीएसटी में रजिस्टर्ड है) को सरकार को देना होता है।
- मकान मालिक को अलग से जीएसटी नहीं देना पड़ता।
उदाहरण:
- एक स्टार्टअप ₹50,000/महीना किराए पर मकान लेता है और वह जीएसटी रजिस्टर्ड है।
- जीएसटी = ₹50,000 × 18% = ₹9,000/महीना।
- यह रकम स्टार्टअप को सीधे सरकार को जमा करनी होगी और बाद में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में एडजस्ट कर सकता है।
यह नियम क्यों लाया गया?
सरकार ने यह नियम कई कारणों से लागू किया:
- गड़बड़ियों को रोकने के लिए: कई कंपनियां/पेशेवर आवासीय मकान को व्यवसाय के नाम पर लेकर टैक्स से बच रहे थे।
- टैक्स बेस बढ़ाने के लिए: किराया एक बड़ा सेक्टर है, इससे राजस्व बढ़ाने का मौका है।
- न्याय सुनिश्चित करने के लिए: जब व्यवसायी किराए को खर्च दिखाते हैं, तो सरकार को उस पर टैक्स मिलना चाहिए।
किरायेदारों पर असर
- व्यावसायिक किरायेदार: किराए पर 18% ज्यादा देना होगा, लेकिन बाद में यह ITC के रूप में वापस मिल सकता है।
- परिवार/छात्र: कोई असर नहीं, क्योंकि रहने के लिए लिए गए मकानों पर जीएसटी लागू नहीं है।
- कर्मचारी: अगर आपकी कंपनी आपके लिए मकान ले रही है, तो टैक्स का असर सीधे कंपनी पर पड़ेगा।
मकान मालिकों पर असर
- छोटे मकान मालिक जो केवल आवासीय किराया लेते हैं – उन पर कोई असर नहीं।
- बड़े मकान मालिक जो कंपनियों को मकान किराए पर देते हैं – अब ज्यादा अनुपालन करना पड़ सकता है।
- मकान मालिक जिनकी आय सीमा से कम है, उन्हें जीएसटी से राहत है।
फायदे और नुकसान
👍 फायदे
- किराया बाजार में पारदर्शिता आती है।
- व्यवसायिक उपयोग वाले मकान अब टैक्स नेट में आते हैं।
- आवासीय मकानों के व्यक्तिगत उपयोग पर कोई असर नहीं।
👎 नुकसान
- छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप पर अतिरिक्त भार।
- अनुपालन बढ़ता है, खासकर किरायेदारों के लिए।
- आवासीय मकानों का व्यवसायिक उपयोग महंगा हो जाएगा।
उदाहरण परिदृश्य
- परिवार मकान किराए पर लेता है
- किराया = ₹20,000/माह → कोई जीएसटी नहीं।
- स्टार्टअप ऑफिस के लिए फ्लैट किराए पर लेता है
- किराया = ₹40,000/माह → जीएसटी = ₹7,200/माह।
- कंपनी कर्मचारियों के लिए फ्लैट लेती है
- किराया = ₹1,00,000/माह → जीएसटी = ₹18,000/माह।
निष्कर्ष
नया 18% जीएसटी किराया नियम हर किरायेदार पर लागू नहीं है। यह सिर्फ उन पर लागू है जो मकान को व्यवसायिक/पेशेवर उपयोग के लिए लेते हैं।
- आम परिवार और छात्र: कोई असर नहीं।
- व्यवसायिक किरायेदार: टैक्स देना होगा, लेकिन ITC का लाभ भी मिलेगा।
- मकान मालिक: छोटे मकान मालिक प्रभावित नहीं, बड़े वालों को अनुपालन बढ़ाना होगा।
कुल मिलाकर, यह नियम आम लोगों को नहीं बल्कि व्यवसायिक किराए के उपयोग को औपचारिक बनाने और टैक्स दायरे में लाने के लिए है।
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